दंत चिकित्सा के इतिहास और सार

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सहायक पीरियोडोन्टल थेरेपी - एक समीक्षा

रवि चंदू कट्टा, विजय कुमार चावा, श्रीनिवास नागरकांती

शोध ने इस बात के प्रमाण प्रदान किए हैं कि जीर्ण सूजन संबंधी पीरियोडॉन्टल रोग उपचार योग्य हैं। ज्ञान और चिकित्सा में प्रगति के परिणामस्वरूप, अधिकांश रोगी उचित उपचार, उचित पट्टिका नियंत्रण और निरंतर रखरखाव देखभाल के साथ अपने जीवनकाल में अपने दांतों को बनाए रखते हैं। हालाँकि, कुछ स्थितियाँ ऐसी होती हैं जब पारंपरिक चिकित्सा रोग को रोकने में प्रभावी नहीं होती है। इन मामलों में रोग की प्रगति धीमी हो सकती है, लेकिन अंततः दाँत खो सकते हैं। कई अध्ययनों ने संकेत दिया है कि सावधानीपूर्वक डिज़ाइन किए गए रखरखाव कार्यक्रम की अनुपस्थिति में पीरियोडॉन्टल थेरेपी हमेशा रोग की स्थिति की पुनरावृत्ति का कारण बनती है। तदनुसार, रखरखाव कार्यक्रम के बिना प्रदान की गई पीरियोडॉन्टल देखभाल महत्वपूर्ण रोगी प्रबंधन और रोग प्रबंधन मुद्दों से निपटती है। इसलिए सहायक पीरियोडॉन्टल उपचार पीरियोडॉन्टल थेरेपी का एक अभिन्न अंग है, जिसमें सभी उपचार उपलब्धियाँ एक स्वस्थ पीरियोडॉन्टल स्थिति प्राप्त करने में केंद्रित होती हैं जिसे प्रभावी रूप से बनाए रखा जा सकता है। इस संबंध में, सहायक पीरियोडॉन्टल थेरेपी दंत चिकित्सा का सबसे निर्णायक पहलू बन जाती है। यह लेख पीरियोडॉन्टियम की अखंडता को बनाए रखने में सहायक पीरियोडॉन्टल थेरेपी के महत्व का अवलोकन देता है।

अस्वीकरण: इस सार का अनुवाद कृत्रिम बुद्धिमत्ता उपकरणों का उपयोग करके किया गया था और अभी तक इसकी समीक्षा या सत्यापन नहीं किया गया है।
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