आईएसएसएन: 2385-5495
शिन डब्ल्यू सिम, ललित के राधा कृष्ण
पृष्ठभूमि: इस लेख का उद्देश्य जीवन के अंतिम चरण में निरंतर गहन बेहोशी के उपयोग के संदर्भ में आनुपातिकता के विचार का पता लगाना और इरादे को समझने में इसके महत्व का मूल्यांकन करना है। विधियाँ: आनुपातिकता की अवधारणा और 'डबल इफ़ेक्ट के सिद्धांत' का पता लगाने के लिए दो केस स्टडीज़ का उपयोग किया गया है। पहला रोगी के नैदानिक, सामाजिक, भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संदर्भों की समग्र प्रशंसा के महत्व पर प्रकाश डालता है। दूसरा केस स्टडी निरंतर गहन बेहोशी के लिए आनुपातिक प्रतिक्रिया की उपयुक्तता का मूल्यांकन करता है। परिणाम: केस स्टडीज़ से पता चलता है कि रोगी की बहु-विषयक देखभाल टीमों द्वारा की गई प्रतिक्रियाएँ स्थिति के अनुसार होनी चाहिए। यह आनुपातिक, उचित उपायों की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है जो रोगी की इच्छाओं और लक्ष्यों के अनुरूप हों, और व्यक्तियों की कहानियों और उनकी स्थितियों की समग्र प्रशंसा पर विचार करने की आवश्यकता का सुझाव देता है। निष्कर्ष: आनुपातिकता के सिद्धांत या सिद्धांत का अनुप्रयोग चिकित्सक और समग्र रूप से बहु-विषयक देखभाल टीम के इरादों को स्पष्ट करने के लिए अनिवार्य है। आनुपातिकता का विचार उचित उपयोग के विचार को समाहित करता है तथा रोगी की इच्छाओं को ध्यान में रखते हुए, उपशामक देखभाल दृष्टिकोण के केंद्रीय चरित्र को प्रतिध्वनित करता है।