आईएसएसएन: 1920-4159
वकास खान कयानी, फ़ैज़ा रशीद, अदील महमूद, आदिल खान कयानी
अध्ययन में, पिछले गेहूं को दिए गए फार्मयार्ड खाद (एफवाईएम) के अवशिष्ट प्रभाव का अगली मक्का फसल पर मूल्यांकन किया गया था। ग्रीष्म 2007 (खरीफ) से ग्रीष्म 2008 (खरीफ) तक मक्का (नियंत्रण)-गेहूं-मक्का तीन फसलों पर आधारित प्रयोग किया गया। एफवाईएम की मानक खुराक मध्यवर्ती गेहूं की फसल के क्षेत्र में दी गई। चार उपचारों में विभिन्न एनपी खुराकें लागू की गईं। एफवाईएम के अवशिष्ट प्रभाव का अनुमान सात मापदंडों पर लगाया गया था, अर्थात; पौधे की ऊंचाई (सेमी), बाली की ऊंचाई (सेमी), भुट्टे की लंबाई (सेमी), अनाज की पंक्ति/भुट्टा, दाने/पंक्ति, 1000 दानों का वजन (ग्राम) और अनाज की उपज/प्लाट (किलोग्राम)। एफवाईएम आवेदन के बाद सभी मापदंडों ने अनाज/पंक्ति को छोड़कर महत्वपूर्ण परिणाम प्रदर्शित किए। बाली की लंबाई को छोड़कर, प्रतिकृति गैर-महत्वपूर्ण रही। उपचारों के बीच तथा एफ.वाई.एम. के प्रयोग से पहले और बाद में 1000 दानों के भार को छोड़कर कोई अन्य प्रभाव नहीं पाया गया। कुल मिलाकर अनाज की उपज/प्लाट में 21.37% की वृद्धि देखी गई। हम पाकिस्तान के शुष्क क्षेत्रों में आगामी मक्का फसल की बेहतर उपज प्राप्त करने के लिए पिछली फसल पर एफ.वाई.एम. (6000 किग्रा. प्रति हेक्टेयर) की मानक खुराक के साथ एन 90 किग्रा प्रति हेक्टेयर + पी 60 किग्रा प्रति हेक्टेयर (टी2) और एन 120 किग्रा प्रति हेक्टेयर + पी 80 किग्रा प्रति हेक्टेयर (टी3) के प्रयोग का सुझाव देते हैं।