आईएसएसएन: 2329-9096
हसन मोहम्मद आरिफ रेहान, पॉली घोष
पृष्ठभूमि: हेमी वर्टिब्रा के साथ जन्मजात स्कोलियोसिस की प्राकृतिक दुनिया परिवर्तनशील है, खासकर जब इसे एकतरफा अनसेगमेंटल बार के साथ जोड़ा जाता है। ऑर्थोटिक उपचार का प्राथमिक उद्देश्य वक्र की आगे की प्रगति को रोकना है। इस अध्ययन का उद्देश्य वक्र सुधार और उसके कार्डियो श्वसन कार्यों पर ऑर्थोटिक हस्तक्षेप का उपयोग करके एकल-स्तरीय हेमी वर्टिब्रा के साथ जन्मजात स्कोलियोसिस के उपचार में प्रभाव का पता लगाना है।
केस विवरण और विधि: सिंगल-लेवल हेमी-वर्टेब्रा से संबंधित जन्मजात स्कोलियोसिस से पीड़ित 14 वर्षीय बच्चे को उसके शरीर पर गैर-ऑपरेटिव उपचार दिया गया, जिसमें औसत पूरक अवधि 2 वर्ष थी। SRS दिशानिर्देशों के अनुसार रोगी को स्पाइनल ऑर्थोसिस (मोल्डेड-TLSO, हाई प्रोफाइल बोस्टन ब्रेस) लगाया गया। ब्रीद कार्डियो-रेस्पिरेटरी डेटा विश्लेषण और मेटाबॉलिक डेटा विश्लेषण क्रमशः COSMED-Srl-Italy,K4B2 के माध्यम से किया जाता है।
निष्कर्ष: कार्डियो-श्वसन तालिका और ग्राफ ने स्पाइनल ऑर्थोसिस के साथ जन्मजात स्कोलियोसिस में काफी बेहतर परिणाम स्थापित किया। ऑर्थोटिक उपचार वक्र प्रगति और सुधार के मामले में केवल फिजियोथेरेपी उपचार की तुलना में बेहतर परिणाम देता है।
परिणाम और निष्कर्ष: केस अध्ययन से पता चलता है कि उच्च प्रोफ़ाइल बोस्टन ब्रेस हेमी वर्टिब्रा रोगी में कार्डियो-श्वसन मापदंडों पर किसी भी प्रतिकूल प्रभाव के बिना जन्मजात स्कोलियोसिस के मामले में वक्र प्रगति को रोक सकता है।