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भारती मुनागपति, मल्लिकार्जुन एम, जयश्री के
दंत छापों को बनाने के तुरंत बाद धोया और कीटाणुरहित किया जाना चाहिए, ताकि रोगी की लार और रक्त से दंत चिकित्सकों और तकनीशियनों तक संक्रामक रोगों के हस्तांतरण को नियंत्रित किया जा सके। चूंकि उच्च तापमान और समय की आवश्यकता के कारण छापों का स्टरलाइज़ेशन संभव नहीं है, इसलिए कीटाणुशोधन ही पसंद की विधि है। लेकिन कीटाणुशोधन प्रक्रिया कभी-कभी छाप सामग्री के गुणों को प्रभावित कर सकती है। इस अध्ययन में पॉली विनाइल सिलोक्सेन छापों पर रासायनिक और यूवी प्रकाश कीटाणुशोधन की प्रभावकारिता और प्रभाव का मूल्यांकन किया गया है।