आईएसएसएन: 2161-0487
Saachi Arora*, Ruchi Varma, Vibha Sharma
कोविड-19 महामारी ने आम तौर पर आबादी के एक बड़े हिस्से को प्रभावित किया है। महामारी और लॉकडाउन के दौरान बच्चों में संकट, भय, असहायता और संबंधित व्यवहार संबंधी समस्याओं का स्तर बढ़ा हुआ देखा गया है, क्योंकि इस दौरान स्कूल और खेल सहित उनकी सामान्य दिनचर्या की गतिविधियाँ काफी हद तक प्रतिबंधित थीं। वर्तमान लेख एक केस स्टडी के माध्यम से महामारी के दौरान बच्चों द्वारा सामना किए जाने वाले कुछ प्रमुख मनोसामाजिक मुद्दों को उजागर करने का एक प्रयास है।
उद्देश्य: बच्चों पर कोरोना वायरस महामारी के मनोवैज्ञानिक प्रभाव के साथ-साथ इसके मनोवैज्ञानिक प्रबंधन को समझना।
केस प्रस्तुति: यहाँ एक दस वर्षीय बालक का मामला प्रस्तुत किया गया है, जिसने महामारी के दौरान वायरस से संक्रमित होने और विभिन्न व्यवहार संबंधी समस्याओं के परिणामस्वरूप अनुत्तरदायीपन, अनिश्चितताओं का डर और अपने माता-पिता को खोने की चिंता के प्रकरण विकसित किए। बच्चे की समस्याओं को मनोसामाजिक और पारिवारिक कारकों के संदर्भ में समझा गया। मनोवैज्ञानिक प्रबंधन में मनोशिक्षा और माता-पिता की काउंसलिंग के माध्यम से द्वितीयक लाभों को संबोधित करना शामिल था। बच्चे की आगे की मनोशिक्षा और सहायक परामर्श उसकी महामारी संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए एक आसान भाषा में किया गया; साथ ही स्वस्थ मुकाबला शैलियों और समस्या समाधान कौशल का प्रशिक्षण भी दिया गया ताकि बीमारी को फिर से होने से रोका जा सके।
परिणाम: माता-पिता और बच्चे ने लक्षणों और उनके संकट में काफी हद तक कमी आने की बात कही, साथ ही बच्चे की सामाजिक-व्यावसायिक कार्यक्षमता में भी वृद्धि हुई। निष्कर्षों पर कोविड स्थितियों से जुड़े मनोसामाजिक मुद्दों को समझने और उनका समाधान करने की आवश्यकता के मद्देनजर चर्चा की गई है, जो वर्तमान समय में बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहे हैं।