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भारत में मल्टी-ब्रांड रिटेलिंग में एफडीआई के अवसरों और खतरों पर एक खोजपूर्ण अध्ययन

राकेश कुमार पात्रा

भारत में खुदरा व्यापार इसकी अर्थव्यवस्था के स्तंभों में से एक है और इसकी जीडीपी में 14 से 15 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। भारतीय खुदरा बाजार का आकार 500 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है और यह आर्थिक मूल्य के हिसाब से दुनिया के शीर्ष पांच खुदरा बाजारों में से एक है। भारत दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते खुदरा बाजारों में से एक है, जिसकी आबादी 1.2 बिलियन है। भारत की संघीय सरकार ने भारत में मल्टी-ब्रांड रिटेल में 51% एफडीआई की अनुमति दी। विपक्ष के भारी हंगामे के बावजूद सरकार संसद में मल्टी-ब्रांड रिटेल को मंजूरी दिलाने में कामयाब रही। कुछ राज्य वॉलमार्ट, टेस्को और कैरेफोर जैसे विदेशी सुपरमार्केट को खोलने की अनुमति देंगे जबकि अन्य राज्य ऐसा नहीं करेंगे। यह अध्ययन भारतीय खुदरा विक्रेताओं के साथ-साथ विदेशी खुदरा विक्रेताओं के सामने आने वाले मौजूदा मुद्दों और चुनौतियों का विश्लेषण करने के लिए किया गया है।

अस्वीकरण: इस सार का अनुवाद कृत्रिम बुद्धिमत्ता उपकरणों का उपयोग करके किया गया था और अभी तक इसकी समीक्षा या सत्यापन नहीं किया गया है।
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